सौर मण्डल – चन्द्रमा, तारे, सौर परिवार – सूर्य, ग्रह, धूमकेतु, तारामण्डल
ऊपर की ओर देखने पर अनंत आकाश दिखाई देता है। रात होने पर आकाश को देखने पर कुछ यह, असंख्य तारे व अन्य पिण्ड दिखाई देते हैं। इस सम्पूर्ण समूह को ही ब्रह्माण्ड कहते हैं। ब्रह्माण्ड से सम्बन्धित अध्ययन को ब्रह्माण्ड- विज्ञान (Cosmology) कहते हैं। ऐसा माना जाता है कि ब्रह्मांड का जन्म लगभग 13.8 अरब साल पहले बिग बैंग नामक घटना से हुआ था। ब्रह्माण्ड की उत्पति के विषय में वर्तमान सर्वाधिक मान्यता प्राप्त अवधारणा बिगबैंग (Big bang theory) की है। बिग बैंग सिद्धांत को सबसे पहले जॉर्ज लेमैत्रे ने प्रस्तावित किया था
बैंग बैंग सिद्धांत :- यह कहता है कि किसी समय समस्त अंतरिक्ष अत्यंत उच्च घनत्व और उच्च तापमान वाले एक बिंदु में प्रभाहित था, जिसके बाद से ब्रह्मांड सभी दिशाओं में फैल रहा है। विस्फोट के बाद हुए विस्तार से ब्रह्माण्ड ठण्ड़ा हुआ तब उप-परमाणीय कणों की उत्पति हुई। उप-परमाणीय कणों से बाद में सरल परमाणु बने। परमाणुओं से प्रारम्भिक तत्वों, इड्रोजन, हीलियम व लिथियम के दैत्याकार बादल बने। गुरुत्व बल के कारण संघनित होकर दैत्याकार बादलों ने तारों व प्राकाशगंगाओं (galaxies) को जन्म दिया। हमारी आकाशगंगा Milky Wayमन्दागिनी सर्पिलाकार आकार की है।
> ब्रह्माण्ड में कई छोटे, विशाल और अति विशाल पिण्ड हैं। इन पिण्डों को खगोलीय पिण्ड कहते हैं। सूर्य, तारे, ग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्कायें, धूमकेतु, आकाशगंगा, चंद्रमा सभी खगोलीय पिण्ड हैं। जो स्वयं के प्रकाश से चमकते हैं उन्हें तारे कहते हैं। ऐसा ही एक तारा हमारा सूर्य हैं।
सूर्य के चारों ओर अण्डाकार मार्ग में परिक्रमा करने वाले खगोलीय पिण्डों से मिलकर सौर परिवार बना है।
> सौर परिवार में ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह, धूमकेतु, उल्कायें, ओर कई ज्ञात अज्ञात पिण्ड है
> सूर्य के अधिक गुरुत्वाकर्षण के कारण ये पिण्ड सूर्य की परिक्रमा करते हैं।
> ग्रहों का अपना प्रकाश एवं ऊष्मा नहीं होती ये केवल सूर्य या अन्य तारों के प्रकाश को परावर्तित करते हैं।
• सूर्य हमसे निकटतम तारा है। यह निरंतर विशाल मात्रा में ऊष्मा तथा प्रकाश उत्सर्जित कर रहा है। सूर्य की सतह पर लगातार हाइड्रोजन के छोटे नाभिक मिलकर He के बड़े नामिको का निर्माण करते है, इस नाभिकीय संलयन की क्रिया में अत्यधिक ऊर्जा मुक्त होती है।
सूर्य के पश्चात् दूसरा निकटतम तारा एल्फासेन्टोरी (Proxima Century) जिसकी पृथ्वी से दूरी 4×10¹³ km है। (4.3 प्रकाश वर्ष)
– ध्रुव तारा पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव की धुरी के ऊपर स्थित है।
– ध्रुव तारा सभी ऋतुओं में स्थिर दिखाई देता है क्योंकि यह लगभग पृथ्वी की चूर्णन धुरी के साथ है।
– सूर्य में मुख्यतः लगभग 70% हाइड्रोजन गैस 28% हिलियम गैस, 1.5% कार्बन, नाइट्रोजन, ऑक्सीजन गैस एवं 0.5% अन्य तत्वों जैसे लोहा, सिलिकॉन, मैग्रीशियम, नियॉन, सल्फर इत्यादि से मिलकर बनता है।
आकाश में दूरस्थ तारों का रंग तापमान को दर्शाता है ठंडे तारे लाल रंग के होते हैं, गर्म तारे नारंगी से पीले और सफेद रंग के नीली रोशनी से चमकते हैं। सबसे गर्म तारे नीली रोशनी से चमकते हैं
जब किसी तारे के केंद्र का ईंधन समाप्त होता है तब भयकर विस्पोट होता है। इसे सूपर नोवा विस्पोट कहते है और तारा श्वेत वामन में और कुछ समय बाद काला वामन में बदल जाता है।
तारामण्डल (Constellation) –
आकाश के ऐसे क्षेत्र को कहते हैं जिसके भीतर स्थित तारों के किसी समूह के बीच कल्पित रेखाएँ खींचकर कोई जानी. पहचानी आकृति प्रतीत होती है
1. सप्तऋर्षि (7 तारे), बिगडिपर, असमिजर, ग्रेट बियर-
> सर्वविख्यात तारामण्डल जिसे गर्मियों में रात्रि के प्रथम पहर में देख सकते हैं।
> इस तारामण्डल में 7 सुस्पष्ट तारे हैं।
> ग्रेट ब्रिटेन में इसे खेत जोतने वाला हल तथा फांसीसी लोग इसे सॉस पेन या हत्थे वाले डेगची (कलछी) कहते है।
> वास्तव में ये सभी तारे ध्रुव तारे की परिक्रमा करते प्रतीत होते हैं।
2. ओरायन (Orion) / मृगः 7 या 8 तारे
> ओरॉयन एक अन्य विख्यात तारामण्डल है जिसे सर्दियों में मध्यरात्रि में देख सकते हैं।
> इसमें भी 7 अथवा 8 चमकीले तारे हैं।
> ओरॉयन को शिकारी भी कहते हैं।
> इसके मध्य के तीन तारे शिकारी की बेल्ट को निरूपित करते हैं।
> आकाश में सबसे अधिक चमकिला तारा, सीरीयस (लुब्धक), ओरॉयन के निकट दिखाई देता है।
3. कैसियोपिया / M या W का विकृत रूप-
> यह उत्तर दिशा में सप्तर्षि की विपरित दिशा में दिखाई देता है। > यह सर्दियों में रात्रि के प्रथम पहर में दिखाई देता है।
4. लियो मेजर (शेर का आकार) –
> यह सप्तर्षि के दक्षिण में दिखाई देता है।
> रेगुलस इसका सबसे चमकीला तारा है।
परिक्रमण :- सूर्य के चारों ओर चक्कर लगाना। इसी कारण पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन होता है। • शुक और अरुण ग्रह को छोड़कर सभी ग्रह सूर्य की परिक्रमा पश्चिम से पूर्व की ओर करते हैं।
परिभ्रमण / घूर्णन – अपने ही अक्ष पर घूमना (पृथ्वी की अक्षीय चाल)। दिन-रात बनने का कारण
सौर परिवार (सौर मण्डल)
- खोज-निकॉलस कॉपरनिकस।
- सूर्य तथा इसकी परिक्रमा करने वाले खगोलिय पिण्ड, सौर परिवार के अन्तर्गत आते हैं।।
सौर परिवार में बहुत से पिण्ड हैं जैसे- पह, धूमकेतु, क्षुद्रग्रह, उल्काएँ, उपयह और कई अज्ञात पिण्ड। सूर्य और इन पिण्डों के बीच गुरुत्वाकर्षण के कारण ये दीर्घषताकार कक्षा में चक्कर लगाते हैं। - सौर परिवार में 8 ग्रह हैं। (24 अगस्त 2006 तक 9 पह थे।)
- सूर्य से निकटतम दूरी के अनुसार पहों का क्रम- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण, वरुण
- अन्तर्राष्ट्रीय खगोलशास्त्रीय संघ के प्राग सम्मेलन 24 अगस्त 2006 के अनुसार सौर मण्डल में मौजूद पिण्डों को तीन श्रेणियों में बाँटा गया है-
A. ग्रह – इसमें उपरोक्त आठ ग्रहों को मान्यता दी गई हैं, इनमें से प्रथम चार बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल को स्थलीय यह कहा है क्योंकि यहाँ धरातल है। शेष चार बृहस्पति, शनि, अरुण एवं वरुण विशाल गैस से बने भारी यह है।
B. बौने ग्रह- यम (प्लूटो 2006 में ग्रह से बाहर), एरीज, सीरीज आदि।
C. लघु सौरमण्डलीय पिण्ड – इसमें उपग्रह एवं अन्य छोटे खगोलीय पिण्ड जिसमें क्षुद्रग्रह पट्टी (मंगल एवं बृहस्पति ग्रह के बीच), धूमकेतु (पुच्छल तारा), उल्कायें, ग्रहों के बीच की धूल शामिल हैं।
1. बुध (Mercury)
> सूर्य से निकटतम ग्रह तथा वायुमंडल रहित ग्रह।
> यह सौर परिवार का सबसे छोटा ग्रह है जिसका कोई उपग्रह नहीं हैं।
> सूर्योदय से तुरत पूर्व व सूर्यास्त के तुरंत बाद इसे क्षितिज पर देखा जा सकता है।
– यहाँ दिन अति गर्म एवं रातें बर्फीली होती हैं।
2. शुक्र (Venus)
> यह पृथ्वी का निकटतम ग्रह है।
> आकार व द्रव्यमान पृथ्वी के लगभग समान होने के कारण इसे पृथ्वी की बहिन कहा जाता है।
> यह सबसे अधिक चमकीला ग्रह है।
> यह सूर्योदय एवं सूर्यास्त के बाद दिखाई देता है इसलिए इसे प्रातः (भोर) तारा व सांझ तारा कहा जाता है। > यह पूर्व से पश्चिम घूर्णन करता है। इस ग्रह पर सूरज पश्चिम से उगता है।
> इसका कोई उपग्रह नहीं है।
> इसकी कलाएँ, चन्द्रमा की कलाओं की तरह है।
> यह सर्वाधिक गर्म ग्रह है।
> नोटः- शुक्र ग्रह पर वायुमण्डल, CO₂ के घने बादलों का बना हुआ है जिसके कारण वहाँ का तापमान 200 डिग्री सेल्सीयस से 300 डिग्री तक होता है इसलिए वहाँ पर जीवन संभव नहीं है।
> बृहस्पति, शनि व अन्य ग्रहों पर वायुमण्डल में हाइड्रोजन, हीलियम, मीथेन एवं अमोनिया आदि के घने बादल छाये हुए हैं जो कि आदिकालिन पृथ्वी समान है। परन्तु इन ग्रहों पर अति निम्न्न तापमान 200 से 400 डिग्री F होने के कारण जीवन संभव नहीं है।
3. पृथ्वी (Earth))
- पृथ्वी एकमात्र ऐसा पह है जिस पर जीवन पाया जाता है यहाँ पर वायूमण्डल एवं जल पाया जाता है
- यह अंतरिक्ष से नीला (जल के कारण) दिखाई देती है अतः इसे नीला यह कहते हैं। (पृथ्वी दिवस 22 अप्रैल) पृथ्वी, पश्चिम से पूर्व दिशा में घूर्णन करती है इसलिए हमें सूर्योदय, पूर्व में तथा सूर्यास्त पश्चिम में दिखाता है।
- पृथ्वी का घूर्णन अक्ष इसकी कक्षा के लम्बवत नहीं है।
- पृथ्वी का घूर्णन अक्ष, अपने अक्षीय तल से 66.5 डिग्री कोण पर झुका है। जबकी पृथ्वी अपने अक्ष से 23.5 डिग्री कोण पर झुकी हुई है।
- पृथ्वी का एक ही प्राकृतिक उपग्रह चन्द्रमा है।
- रात-दिन का निर्माण पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन के कारण होता है।
- पृथ्वी, सूर्य के चारों ओर 365 सही 1/4 है।, 365 दिन परिक्रमण काल
- पृथ्वी के सर्वाधिक समीप तारा सूर्य है।
- पृथ्वी और सूर्य के बीच की दूरी 14.96 (15) करोड किमी है।
- सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी तक आने में लगभग लगा समय 8 मिनट 19 सैकण्ड है।
- नोटः- पृथ्वी का कक्षीय तल व विषुवतीय तल के मध्य कोण 23.5 डिग्री है अर्थात् दोनों एक दूसरे से 23.5 डिग्री कोण पर झुके हैं। इसी कारण पृथ्वी पर ऋतु परिवर्तन होता है।
4. मंगल (Mars)
- मंगल की सतह पर आयरन ऑक्साइड की मात्रा अधिक होने के कारण इसे लाल यह कहते हैं। (हल्का रक्ताभ)
- मंगल भी अपनी अक्ष पर 25 डिग्री कोण पर झुका होने के कारण ऋतुओं का निर्माण करता है।
- मंगल, सूर्य के चारों ओर एक चक्कर 687 दिन में लगाता है। परिक्रमण काल
- मंगल ग्रह हमारे सौर परिवार का एकमात्र ग्रह है जिस पर जीवन की संभावना व्यक्त की जा रही है।
- इस ग्रह के बारे में कहा जाता है कि यहाँ कंपकंपा देने वाली ठण्ड, धुल भरी आँधी का बवण्डर उठता रहता है।
- यहाँ गर्मियों में तापमान 30-50 डिग्री सेल्सीयस तथा सर्दियों में 133 डिग्री सेल्सीयस तक चला जाता है।
- मंगल पर सौर परिवार का सबसे बडा पर्वत निक्स ओलंपिया है।
- मंगल के दो छोटे प्राकृतिक उपग्रह हैं
1 फोबोस
2 डिमोस - मंगलयान / मार्स ऑर्बिटर मिशनम (MOM) मंगल ग्रह पर भारत का पहला इंटरप्लेनेटरी मिशन है। मार्स ऑर्बिटर मिशन 5 नवंबर, 2013 को सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा (SHAR), भारत से लॉन्च किया गया था। यह 24 सितंबर 2014 को मंगल की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंच गया। यह मंगल यान, प्रथम पूर्णतः भारत में निर्मित हुआ।
- भारत द्वारा पहले ही प्रयास में यह कम खर्च एवं सफलता प्राप्त करने का पूरे विश्व के अन्तरिक्ष अभियानों में प्रथम यह मंगलयान मंगल के वातावरण में मीथेन गैस की मात्रा मापेगा व स्त्रोत भी पता लगायेगा। मंगल की सतह का तापमान व मौजुदा खनिजों का पता लगायेगा। हाइड्रोजन व ड्यूटीरियम की मात्रा तथा बाहरी हिस्सों में जो कण मिलेंगे उनकी जाँच करेगा।
5. बृहस्पति (Jupiter)
- यह सौरमण्डल का सबसे बडा ग्रह है जिसमें लगभग 1300 पृथ्वी समा सकती है।
- इसका द्रव्यमान, पृथ्वी के द्रव्यमान का 318 गुना है।
- यह अपने अक्ष पर तीव्रतम गति करता है। (10 घण्टे)
- इसके बहुत से प्राकृतिक उपग्रह हैं। (लगभग 67 उपग्रह)
- इसका प्रसिद्ध लाल धब्बा वास्तव में अशांत बादलों के घेरे में स्थित विशाल चक्रवात है।
- वह चमकीला और सबसे भारी ग्रह है। इसे देवताओं का ग्रह कहते हैं। इसमें Sulphuric Acid के बादल पाए जाते हैं। इसे पीला यह भी कहते हैं। यह सूर्य के चारों तरफ एक चक्कर 11.9 वर्षों में पूर्ण करता है। इसमें परमाण्विय ईंधन भी पाया जाता है इसलिए इसे यह व तारे दोनों की संज्ञा दी गई है।
- बृहस्पति का वजन सारे ग्रहों के वजन से 2.5 गुणा ज्यादा है।
- बृहस्पति का उपग्रह गेनीमीड सौरमण्डल का सबसे बडा उपग्रह या चन्द्रमा है।
- बृहस्पति का एक उपग्रह यूरोपा है, यहाँ पानी की संभावना व्यक्त की जा रही है।
6. शनि (Saturn)
- शनि रंग में पीला सा प्रतीत होता है।
- (सबसे सुन्दर ग्रह) इस ग्रह के रमणीय वलय (7) छल्ले) इसे सौर परिवार में अद्वितीय बनाते हैं। यह वलय नग्न आँखों से दिखाई नहीं देते।
- शनि के बहुत से प्राकृतिक उपग्रह हैं। जैसे- फोवे, टेथिस, मीमास
- शनि के बारे में एक रोचक बात यह है कि सभी ग्रहों में यह सबसे कम सघन है। इसका घनत्व जल के घनत्व से भी कम है। पानी में भी नहीं डुबता ।
- शनि ग्रह के चारों ओर की प्रसिद्ध वलय वास्तव में हजारों की संख्या में सर्पीली तरगों की पेटियाँ है। शनि के उपग्रह बदलते रहते है।
- शनि, बृहस्पति के बाद दूसरा बडा ग्रह है।
- शनि का सबसे बडा उपग्रह टाइटन है
7. अरुण (Uranus)
- अरुण और वरूण सौर परिवार के बाह्यत्तम ग्रह है। इन्हें केवल बडे दूरदर्शकों की सहायता से देखा जा सकता है।
- शुक्र की भाँति यूरेनस भी पूर्व से पश्चिम दिशा में घूर्णन करता है।
- यूरेनस की विलक्षण विशेषता इसका अत्यधिक झुका घूर्णन अक्ष है इसके परिणामस्वरूप यह कक्षीय गति करते समय अपने पृष्ठ पर लुढकता सा प्रतीत होता है।
- अरुण हरे रंग का ग्रह है। (इस ग्रह पर मीथेन गैस की मात्रा अधिक पाई जाती है।
- इसे लेटा हुआ ग्रह भी कहा जाता है।
- अरूण ग्रह को विलियम हर्शेल ने खोजा था।
- इसका वायुमण्डल बर्फीला हाइड्रोजन, हीलियम व मीथेन गैस युक्त है। इसके 27 ज्ञात चन्द्रमा हैं।
8. वरुण (Neptune)
- वरुण को यू.जे. लिवियर ने खोजा, यहाँ अत्यधिक तूफान आते हैं।
- इसके 13 ज्ञात चन्द्रमा हैं।
- ट्राइटोन इसका सबसे बडा चन्द्रमा है।
- सबसे ठंडा व सूर्य से सबसे दूर ग्रह। सूर्य की परिक्रमा करने में सबसे अधिक समय लेता है
- नोटः- पृथ्वी, सूर्य से निकटत्तम दूरी पर 3 जनवरी को होती है इसे उपसौर कहते हैं।
> 4 जुलाई को पृथ्वी सूर्य से सर्वाधिक दूरी पर होती है उसे अपसौर कहते है।
> दिन-रात बनने का कारण पृथ्वी की अक्षीय चाल / घूर्णन गति / परिभ्रमण
क्षुद्र ग्रह (Asteroids) या अवांतर ग्रह- मंगल और ब्रहस्पति की कक्षाओं के बीच काफी बडा अन्तराल है। इस अन्तराल को बहुत सारे पिण्डों ने घेर रखा है जो सूर्य की परिक्रमा करते हैं इन्हें क्षुद्र यह कहते हैं। लगभग 1800 क्षुद्रग्रह ज्ञात हैं।
- सबसे बडा क्षुद्र यह सीरीस (व्यास लगभग 700 किमी.) है। अन्य क्षुद्रग्रह जूनो, बेस्टा
पुच्छल तारे या घूमकेतू (Cornet)-)
- ब्रह्माण्डीय धूल कण, गैस और बर्फ के संगठित होने से पुच्छल तारे का निर्माण होता है।
ये परवलयिक कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं। - इनका परिक्रमण काल अधिक होता है।
- ये चमकीले सिरे व लम्बी पूँछ वाले होते हैं।
- इसकी पूँछ, सूर्य से दूर होती है।
- हैली का धूमकेतु 76 वर्ष के अंतराल में दिखाई देता है (1986 में दिखा था) अब 2062 में दिखाई देगा।
- जब धूमकेतू सूर्य के काफी दूरी पर होता है तो इसके कोई पूँछ नहीं होती किन्तु जब सूर्य के समीप होता है तो पूँछ होती है।
उल्काएँ तथा उल्कापिण्ड –
- इन्हें साफ आकाश में रात्रि के समय तथा चन्द्रमा दिखाई न दे रहा हो, के समय प्रकाश की एक चमकीली धारी-सी के रूप में देख सकते हैं।
- इसे शूटिंग तारा, टूटता तारा कहते हैं
- कभी-कभी ये पृथ्वी के वायुमण्डल में प्रवेश कर जाते हैं।
- वायुमण्डलीय घर्षण के कारण ये तप्त होकर जल उठते हैं और चमक के साथ शीघ्र ही वाष्पित हो जाते हैं। यही कारण है कि प्रकाश की चमकीली धारी अति अल्प समय के लिए दृष्टिगोचर होती है।
- कुछ उल्का आकार में इतनी बडी होती हैं कि पूर्णतः वाष्पित होने से पूर्व ही वे पृथ्वी पर पहुँच जाती है। वह पिण्ड जो पृथ्वी पर पहुँचता है उसे उल्कापिण्ड या उल्काश्म कहते हैं। ये पृथ्वी पर गिरकर गड्ढे बनाते हैं।
- नोटः- उल्कावृष्टिः- जब पृथ्वी किसी धूमकेतु की पूँछ को पार करती है तो उल्काओं के झुंड दिखाई देते हैं इन्हें उल्कावृष्टि कहते हैं।
चंद्रशेखर सीमा (Chandrashekhar Limit) – चंद्रशेखर ने तारों आयु की ज्ञात की थी।
- जिसके अनुसार यदि किसी तारे का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 1.44 गुना कम हो तो वह तारा श्वेत वामन (white dwarf) के रूप में समाप्त होता है लेकिन यदि किसी तारे का द्रव्यमान सूर्य के द्रव्यमान से 1.44 गुना अधिक हो तो वह तारा ब्लैक हॉल / कृष्ण छिद्र / सुपर नौवा / अधिनव तारा / न्युट्रोन तारे के रूप में समाप्त होता है।
- इस लिमिट को (1.44) को चन्द्रशेखर लिमिट / सीमा कहा जाता है। जिस के लिए 1983 में उन्हे नोबेल पुरुस्कार दिया गया।
- सबसे अधिक चमकीला तारा- साइरस
- बिना उपग्रहों वाले ग्रह- बुध तथा शुक्र
- भूस्थिर उपग्रह का आवर्तकाल 24 घण्टे पृथ्वी के घुमने का आवर्तकाल
- भूस्थिर उपग्रह (पार्किंग उपग्रह या तुल्यकालिक उपग्रह) की पृथ्वी सतह से ऊँचाई 36000 किमी
- कॉसमोस जासूसी उपग्रह है।
निहारिकाएँ (नेब्युला) :- ये एक प्रकार की चमकीली गैस गैस राशियों राशियों है।
- आकार- सर्पिल
- ये प्रज्वलशील गैसों का समुह
- सप्तर्षि, ध्रुव तारे की परिक्रमा करता है।
- ब्रह्माण्ड के रहस्यों की जानकारी से संबंधित सिद्वान्त गॉड पार्टिकल या हिंग्स बोसोन
- विश्व का प्रथम कृत्रिम उपग्रह- रूस ने, स्यूतनिक-1
- विश्व का दूसरा कृत्रिम उपग्रह स्यूतपिक-2 (लाइका नामक कुतिया को भेजा)
- एप्पल, भारत का पहला संचार उपग्रह है।
- विश्व की पहली महिला अन्तरिक्ष यात्री वेलेस्टीना विश्व का पहला अन्तरिक्ष यात्री यूरी गागरीन (रूस)
- भारतीय मूल की प्रथम महिला अन्तरिक्ष यात्री कल्पना चावला
- भारत ने अपना पहला रॉकेट रोहिणी-75, 1969 में छोडा था।
- 1975 में भारत ने रूसी रॉकेट की सहायता से पहला अंतरिक्ष यान आर्यभट्ट अंतरिक्ष में भेजा था।
- पायोनियर-10 अंतरिक्षयान बृहस्पति के पास से होते हुए हमारे सौर मण्डल से बाहर चला गया लेकिन किसी बाहरी सभ्यता का कोई संकेत नहीं मिला।
- ग्रहों के चारों ओर कुछ पिण्ड परिक्रमा कर रहे हैं, जो कि उपग्रह कहलाते हैं। जैसे-पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह चन्द्रमा है।
चन्द्रमा (Moon):-
- वह दिन जब चन्द्रमा की पूर्ण चक्रिका दिखाई देती है, पूर्णिमा कहलाती है
- इसके पश्चात् प्रत्येक रात्रि को चन्द्रमा का चमकीला भाग घटता जाता है।
- 15 वें दिन चंद्रमा दिखाई नहीं पड़ता इसे अमावस्या कहते हैं।
- अगले दिन चन्द्रमा का का एक एक छोटा भाग दिखाई देता है जिसे बालचन्द्र कहते हैं।
- पूरे माह तक दिखाई देने वाली चन्द्रमा के प्रदीप्त भाग की विभिन्न आकृतियों को चन्द्रमा की कलाएँ कहते हैं।
- एक पूर्णिमा से दूसरी पूर्णिमा के मध्य की अवधि लगभग 29 दिन होती है।
- चंद्रमा को पृथ्वी की एक परिक्रमा पूरी करने में 27 दिन 8 घंटे का समय लगता है।
- हमें चन्द्रमा इसलिए चमकीला ‘दिखाई पड़ता है क्योंकि यह अपने पर पड़ने वाले सूर्य के प्रकाश को परावर्तित कर देता है।
- पृथ्वी से चन्द्रमा की सतह का लगभग 59% भाग समय के साथ दिखाई देता है
- हमें चन्द्रमा का केवल वही भाग दिखाई पड़ता है जिस भाग से सूर्य के प्रकाश का परावर्तन होता है।
- 21 July 1969 को अमेरिका के अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग ने सबसे पहले चन्द्रमा पर कदम रखा तत्पश्चात एडविन एल्ड्रिन चन्द्रमा पर उतरा।
- मानव निर्मित पिण्ड जो पृथ्वी तथा अन्य ग्रहों के चारों ओर चक्कर काट रहे हैं कृत्रिम उपग्रह कहलाते हैं। कृत्रिम उपग्रह से पृथ्वी पर सुदृढ़ संचार व्यवस्था संभव हुई है।